शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

जानिए की रत्न क्या हें..कब एवं क्यों धारण करें/पहने..

जानिए की रत्न क्या हें..कब एवं क्यों धारण करें/पहने..

पंडित दयानन्द शास्त्री 
मनुष्य की सहज प्रकृति है कि वह हमेशा सुख में जीना चाहता है परंतु विधि के विधान के अनुसार धरती पर ईश्वर भी जन्म लेकर आता है तो ग्रहों की चाल के अनुसार उसे भी सुख-दुःख सहना पड़ता है।

हम अपने जीवन में आने वाले दुःखों को कम करने अथवा उनसे बचने हेतु उपाय चाहते हैं। उपाय के तौर पर अपनी कुण्डली की जांच करवाते हैं और ज्योतिषशास्त्री की सलाह से पूजा करवाते हैं, ग्रह शांति करवाते हैं अथवा रत्न धारण करते हैं।

रत्न पहनने के बाद कई बार परेशानियां भी आती हैं अथवा कोई लाभ नहीं मिल पाता है। इस स्थिति में ज्योतिषशास्त्री के ऊपर विश्वास डोलने लगता है। जबकि हो सकता है कि आपका रत्न सही नहीं हो।
 
जितने भी रत्न या उपरत्न है वे सब किसी न किसी प्रकार के पत्थर है। चाहे वे पारदर्शी हो, या अपारदर्शी, सघन घनत्व के हो या विरल घनत्व के, रंगीन हो या सादे...। और ये जितने भी पत्थर है वे सब किसी न किसी रासायनिक पदार्थों के किसी आनुपातिक संयोग से बने हैं। विविध भारतीय एवं विदेशी तथा हिन्दू एवं गैर हिन्दू धर्म ग्रंथों में इनका वर्णन मिलता है।

आधुनिक विज्ञान ने अभी तक मात्र शुद्ध एवं एकल 128 तत्वों को पहचानने में सफलता प्राप्त की है। जिसका वर्णन मेंडलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी (Periodic Table) में किया गया है। किन्तु ये एकल तत्व है अर्थात् इनमें किसी दूसरे तत्व या पदार्थ का मिश्रण नहीं प्राप्त होता है। किन्तु एक बात अवश्य है कि इनमें कुछ एक को समस्थानिक (Isotopes) के नाम से जाना जाता है।

प्राचीन संहिता ग्रंथों में जो उल्लेख मिलता है, उसमें एकल तत्व मात्र 108 ही बताए गए हैं। इनसे बनने वाले यौगिकों एवं पदार्थों की संख्या 39000 से भी ऊपर बताई गई हैं। इनमें कुछ एक आज तक या तो चिह्नित नहीं हो पाए है, या फिर अनुपलब्ध हैं। इनका विवरण, रत्नाकर प्रकाश, तत्वमेरू, रत्न वलय, रत्नगर्भा वसुंधरा, रत्नोदधि आदि उदित एवं अनुदित ग्रंथों में दिया गया है।


महर्षि पाराशर एवं वराह मिहिर ने भी इसका संक्षिप्त विवरण अपने ग्रंथों में किया है, किन्तु इनकी संख्या असंख्य बताकर संक्षेप में ही उपसंहार कर दिया है।


केसे करें जाग्रत रत्नों को..???


उदाहरण के लिए हम एक रत्न मूंगा लेते है। इसकी 62 प्रजातियां हैं। किन्तु इनमें मात्र सात ही आज उपलब्ध है। हीरा की 39 प्रजातियां उपलब्ध हैं। नीलम की 65 प्रजातियां उपलब्ध हैं। जबकि इसकी प्रजातियां 400 से भी ऊपर बताई गई हैं। पुखराज की 24 प्रजातियां उपलब्ध है। इसी प्रकार एक-एक रत्नों की अनेक प्रजातियां उपलब्ध है, जो नाम में समान होने के बावजूद भी उनका गुण, प्रकृति, रंग एवं प्रभाव पृथक-पृथक है।

हम उदाहरण के लिए लहसुनिया (Cat's Eye) को लेते है। इसे वैतालीय संहिता में प्राकद्वीपीय मणि भी कहा गया है। इसके अनेक भेद है। जैसे - अवन्तिका, विदारुक, बरकत, विक्रांत, परिलोमश, द्युतिवृत्तिका, नारवेशी, निपुंजवेलि आदि। प्रायः सीधे शब्दों में लहसुनिया को केतु का रत्न माना गया है। किन्तु ध्यान रहे, यदि केतु किसी अन्य ग्रह के प्रभाव में होगा तो यह लहसुनिया उस ग्रह के संयोग वाला होना चाहिए। कोई भी लहसुनिया हर जगह प्रभावी नहीं हो सकता। बल्कि इसका विपरीत प्रभाव भी सामने आ सकता है।
कज्जलपुंज, रत्नावली, अथर्वप्रकाश, आयुकल्प, रत्नाकर निधान, रत्नलाघव, Oriental Prism, Ancient Digiana तथा Indus Catalog आदि ग्रंथों में भी इसका विषद विवरण उपलब्ध है।

कुछ रत्न बहुत ही उत्कट प्रभाव वाले होते है। कारण यह है कि इनके अंदर उग्र विकिरण क्षमता होती है। अतः इन्हें पहनने से पहले इनका रासायनिक परिक्षण आवश्यक है। जैसे- हीरा, नीलम, लहसुनिया, मकरंद, वज्रनख आदि। यदि यह नग तराश (cultured) दिए गए हैं, तो इनकी विकिरण क्षमता का नाश हो जाता है। ये प्रतिष्ठापरक वस्तु (स्टेट्‍स सिंबल) या सौंदर्य प्रसाधन की वस्तु बन कर रह जाते हैं। इनका रासायनिक या ज्योतिषीय प्रभाव विनष्ट हो जाता है।

कुछ परिस्थितियों में ये भयंकर हानि का कारण बन जाते हैं। जैसे- यदि तराशा हुआ हीरा किसी ने धारण किया है तथा कुंडली में पांचवें, नौवें या लग्न में गुरु का संबंध किसी भी तरह से राहु से होता है, तो उसकी संतान कुल परंपरा से दूर मान-मर्यादा एवं अपनी वंश-कुल की इज्जत डुबाने वाली व्यभिचारिणी हो जाएगी।

दूसरी बात यह कि किसी भी रत्न को पहनने के पहले उसे जागृत (Activate) अवश्य कर लेना चाहिए। अन्यथा वह प्राकृत अवस्था में ही पड़ा रह जाता है व निष्क्रिय अवस्था में उसका कोई प्रभाव नहीं हो पाता है।

उदाहरण के लिए पुखराज को लेते हैं। पुखराज को मकोय (एक पौधा), सिसवन, दिथोहरी, अकवना, तुलसी एवं पलोर के पत्तों को पीस कर उसे उनके सामूहिक वजन के तीन गुना पानी में उबालिए। जब पानी लगभग सूख जाए तो उसे आग से नीचे उतारिए। आधे घंटे में उसके पेंदे में थोड़ा पानी एकत्र हो जाएगा। उस पानी को शुद्ध गाय के दूध में मिला दीजिए। जितना पानी उसके लगभग चौगुना दूध होना चाहिए। उस दूधयुक्त घोल में पुखराज को डाल दीजिए। हर तीन मिनट पर उसे किसी लकड़ी के चम्मच से बाहर निकाल कर तथा उसे फूंक मार कर सुखाइए और फिर उसी घोल में डालिए।

इस प्रकार आठ-दस बार करने से पुखराज नग के विकिरण के ऊपर लगा आवरण समाप्त हो जाता है तथा वह पुखराज सक्रिय हो जाता है।

इसी प्रकार प्रत्येक नग या रत्न को जागृत करने की अलग विधि है। रत्नों के प्रभाव को प्रकट करने के लिए सक्रिय किया जाता है। इसे ही जागृत करना कहते हैं।


क्या सभी रत्न/स्टोन स्वयं सिद्ध होते हें..???
कई ज्योतिषगण बगैर पढ़े, बगैर डिर्गी लिए एक बार नहीं कई बार गोल्ड मैडल पाते हैं। बड़े ताज्जुब की बा‍त है कि जिन्हें ज्योतिष का जरा भी ज्ञान नहीं है वे भी गोल्ड मैडलिस्ट बना दिए जाते है। कई तो करोड़ों मंत्रों की सि‍द्धि द्वारा रत्नों का चमत्कार करने का दावा भरते है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है, रत्न तो स्वयं सिद्ध होते हैं। बस जरूरत है उन्हें कुंडली के अनुसार सही व्यक्तियों तक पहुँचाने की।

असल में रत्न स्वयं सिद्ध ही होते है। रत्नों में अपनी अलग रश्मियाँ होती है और कुशल ज्योतिष ही सही रत्न की जानकारी देकर पहनाए तो रत्न अपना चमत्कार आसानी से दिखा देते है। माणिक के साथ मोती, पुखराज के साथ मोती, माणिक मूँगा भी पहनकर असीम लाभ पाया जा सकता है।


विशेष सावधानियां रत्न/स्टोन खरीदते समय पर---


ज्योतिष ग्रहों के आधार पर व जन्म समय की कुंडलीनुसार ही भाग्य का दर्शन कराता है एवं जातक की परेशानियों को कम करने की सलाह देता है। आज हर इन्सान परेशान है, कोई नोकरी से तो कोई व्यापार से। कोई कोर्ट-कचहरी से तो कोई संतान से। कोई प्रेम में पड़ कर चमत्कारिक ज्योतिषियों के चक्कर में फँस कर धन गँवाता है। ना तो वो किसी से शिकायत कर सकता है और ना किसी को बता सकता है। इस प्रकार न जानें कितने लोग फँस जाते हैं। न काम बनता है ना पैसा मिलता है।

आज हम देख रहे हैं ज्योतिष के नाम पर बडे़-बडे़ अनुष्ठान, हवन, पूजा-पाठ कराएँ जाते है। जबकि इस प्रकार धन व समय की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है। कुछ ज्योतिषगण प्रेम विवाह, मूठ, करनी, चमत्कारी नग बताकर जनता को लूट रहे है। तो कोई वशीकरण करने का दावा भरते नजर आते है जबकि ऐसा करना कानूनन अपराध है, क्योंकि पहले तो ऐसा होता ही नहीं है।

यदि कोई दावा भरता है तो ये अपराध है। कई तो ऐसे भी है जो जेल से छुडा़ने तक का दावा भरते है, तो कोई बीमारी के इलाज का भी दावा करते है। कुछ एक तो संतान, दुश्मन बाधा आदि दूर करने के दावा भरते है।


नीलम के साथ मूँगा पहना जाए तो अनेक मुसीबातों में ड़ाल देता है। इसी प्रकार हीरे के साथ लहसुनिया पहना जाए तो निश्चित ही दुर्घटना कराएगा ही, साथ ही वैवाहिक जीवन में भी बाधा का कारण बनेगा। पन्ना-हीरा, पन्ना-नीलम पहन सकते है। फिर भी किसी कुशल ज्योतिष की ही सलाह लें तभी इन रत्नों के चमत्कार पा सकते है।

जैसे मेष व वृश्चिक राशि वालों को मूँगा पहनना चाहिए। लेकिन मूँगा पहनना आपको नुकसान भी कर सकता है अत: जब तक जन्म के समय मंगल की स्थिति ठीक न हो तब तक मूँगा नहीं पहनना चाहिए। यदि मंगल शुभ हो तो यह साहस, पराक्रम, उत्साह प्रशासनिक क्षेत्र, पुलिस सेना आदि में लाभकारी होता है।

वृषभ व तुला राशि वालों को हीरा या ओपल पहनना चाहिए। यदि जन्मपत्रिका में शुभ हो तो। इन रत्नों को पहनने से प्रेम में सफलता, कला के क्षेत्र में उन्नति, सौन्दर्य प्रसाधन के कार्यों में सफलता का कारक होने से आप सफल अवश्य होंगे।

मिथुन व कन्या राशि वाले पन्ना पहनें तो सेल्समैन के कार्य में, पत्रकारिता में, प्रकाशन में, व्यापार में सफलता दिलाता है।

सिंह राशि वालों को माणिक ऊर्जावान बनाता है व राजनीति, प्रशासनिक क्षेत्र, उच्च नौकरी के क्षेत्र में सफलता का कारक होता है।

कर्क राशि वालों को मोती मन की शांति देता है। साथ ही स्टेशनरी, दूध दही-छाछ, चाँदी के व्यवसाय में लाभकारी होता है।

मकर और कुंभ नीलम रत्न धारण कर सकते हैं, लेकिन दो राशियाँ होने सावधानी से पहनें।

धनु व मीन के लिए पुखराज या सुनहला लाभदायक होता है। यह भी प्रशासनिक क्षेत्र में सफलता दिलाता है। वहीं न्याय से जुडे व्यक्ति भी इसे पहन सकते है। आपको सलाह है कि कोई भी रत्न किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह बगैर कभी भी ना पहनें।

रत्न क्या हैं..??? आप कोनसा रत्न/स्टोन पहन सकते हैं..???

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राशि

स्वामी ग्रह

रत्न

उपरत्न

मेषमंगल
websoft
मूंगा
लाल हकीक, लाल आनेक्स, तामड़ा, लाल गोमेद
वृषशुक्र
websoftहीरा
सफेद हकीक, ओपल, स्फटिक, सफेद पुखराज, जरकन
मिथुनबुध
websoftपन्ना
हरा हकीक, आनेक्स, मरगज, फिरोजा
कर्कचन्द्र
websoftमोती
दूधिया हकीक, सफेद मूंगा, चन्द्रकांत मणि, सफेद पुखराज
सिंहसूर्य
websoftमणिक
स्टार माणिक, रतवा हकीक, तामड़ा लाल तुरमली
कन्याबुध
websoftपन्ना
हरा हकीक, आनेक्स, मरगज, फिरोजा
तुलाशुक्र
websoftहीरा
सफेद हकीक, ओपल, स्फटिक, सफेद पुखराज, जरकन
वृश्चिकमंगल
websoftमूंगा
लाल हकीक, लाल आनेक्स, तामड़ा, लाल गोमेद
धनुगुरु
websoftपुखराज
पीला हकीक, सुनहैला, पीला गोमेद, बैरुज
मकरशनि
websoftनीलम
कटैला, काला हकीक, काला स्टार, लाजवृत
कुम्भशनि
websoftनीलम
कटैला, काला हकीक, काला स्टार, लाजवृत
मीनगुरु
websoftपुखराज
पीला हकीक, सुनहैला, पीला गोमेद, बैरुज
 
राहु
websoftगोमेद
 
केतु
websoftलहसुनिया



मूंगा



उपरत्न
लाल हकीक, लाल आनेक्स, तामड़ा, लाल गोमेद।मूगा एक जैविक रत्न है। यह समुद्र से निकाला जाता है। अपनी रासायनिक संरचना में मूंगा कैल्षियम कार्बोनेट

का रुप होता है। मूंगा मंगल ग्रह का रत्न है। अर्थात् मूंगा धारण करने से मंगल ग्रह से सम्बंधित सभी दोष दूर हो जाते है। मूंगा धारण करने से रक्त साफ होता है तथा रक्त से संबंधित सभी दोष दूर हो जाते है। मंूगा मेष तथा वृष्चिक राषि वालों के भाग्य को जगाता है। मूंगा धारण करने से मान-स्वाभिमान में बृद्धि होती है। तथा मूंगा धारण करने वाले पर भूत-प्रेत तथा जादू-टोने का असर नहीं होता। मूंगा धारण करने वाले की व्यापार या नौकरी में उन्नति होती है। मूंगा कम से कम सवा रती का या इससे ऊपर का पहनना चाहिए। मूंगा 5, 7, 9, 11 रती का शुभ होता है। मूंगे को सोने या तांबे में पहनना अच्छा माना जाता है।
विशेषता
तान्त्रिक प्रयोगों में भी मूंगे का अपना विशेष स्थान है। मूंगे के अतिरिक्त किसी अन्य रत्नीय पत्थर का उपयोग तांत्रिक प्रयोगों में नहीं होता।
तंत्र प्रयोगों में प्रयोग की जाने वाली मूर्तियाँ यदि मूंगे की बनायी जायें तो श्रेष्ठ होता है। विशेष रूप से गणेश-सिद्धि तथा लक्ष्मी-साधना के लिए प्रयोग की जाने वाली मूर्तियां तो मूंगे की ही सर्वश्रेष्ठ होती हैं।





हीरा



उपरत्न
सफेद हकीक, ओपल, स्फटिक, सफेद पुखराज, जरकनहीरा कोयले से ही बनता है। रायासनिक विष्लेषण के अनुसार हीरा कार्बन का ठोस रुप है। हीरे को रत्नों का सम्राट भी कहा जाता है। हीरा शुक्र ग्रह का रत्न है। हीरा धारण करने से शुक्र ग्रह संबंधित सभी दोष दूर हो जाते है। जिस व्यक्ति की कुझडली में शुक्र ग्रह कमजोर होता है अथवा जिनकी राषि वृष या तुला होती है। वह हीरा धारण करके दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते है।

हीरा सबसे सुन्दर रत्न है जो व्यक्ति हीरे को धारण करता है। उसके चेहरे पर तेज रहता है। हीरा धारण करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। दाम्पत्य जीवन सुखमय व्यतीत होता है। मानसिक दुबर्लता का अन्त होता है। हीरा धारण करने से भूत-प्रेत तथा जादू टोने का असर नहीं होता। स्वास्थ्य ठीक रहता है।
हीरा के औषधि गुण
निद्रानाश, वातरोग, चर्मरोग, मूलव्याध, जलोदर, पाचनशक्ति आदि रोगों में यह रत्न अत्यन्त गुणकारी है। आयुवेदाचार्यो के अनुसार हीरा के भष्म को भी अनेक बीमारियों के लिए उपयोग में लाया जाता है।
दैवीय शक्ति
हीरा में किसी भी कार्य निर्विरोध सम्पन्न होने के लिए देवीय शक्ति समाहित होती है। अतः इस रत्न को धारण करने से घर में सभी प्रकार की शान्ती एवं सुलभता का निर्माण होता है समाज में मान-सम्मान की प्रतिष्ठा प्रदान होती है तथा धारक को शक्ति प्रदान करके चुस्त-दुस्त रखने में सहायता प्रदान करता है यह रत्न किसी प्रकार से भी हानि उत्पन्न नहीं करता इस रत्न को स्त्री, पुरुष, बालवृद्ध प्रत्येक लोग धारण कर सकते हैं। विशेषतः यह रत्न वृषभ राशि के लोगों का रत्न है।





पन्ना



उपरत्न
हरा हकीक, आनेक्स, मरगज, फिरोजापन्ना एक खनिज रत्न है। यह हरे रंग का चमकदार पारदर्षक बहुमूल्य महा रत्न है। इसे बुद्ध ग्रह का रत्न कहते है।

इसलिए पन्ना पहनने से बुद्ध ग्रह के समस्त दोष दूर हो जाते है। पन्ना वैवाहिक जीवन में मधुरता, संतान की प्राप्ति तथा धन वृद्धि करने वाला महारत्न है। जिस व्यक्ति की कुण्डली में बुद्ध ग्रह की स्थिति ठीक न हो तथा लिजनकी राषि कन्या हो तो उन्हें पन्ना धारण करना चाहिए। यदि विद्यार्थी पन्ना पहने तो बुद्धि, तीव्र होती है। सरस्वती की कृपा बनी रहती है। पन्ना आधरित व्यक्ति के विरुद्ध कोई षड़यन्त्र सफल नहीं होता है। पन्ना पहनने से शरीर में बल एवं वीर्य की वृद्धि होती है। इसे धारण करने से मन एकाग्र होता है। पन्ना व्यक्ति को संयमित करता है तथा मानसिक शांति प्रदान करता है। बुद्ध ग्रह का संबंध वाणी से होता है। पन्ना, दमा, श्वास हकलाना आदि परेशानियों में अति लाभकारी होता है। जिन व्यक्तियों के पास धन नही रुकता उन्हें पन्ना अवश्य धारण करना चाहिए।





मोती



उपरत्न
दूधिया हकीक, सफेद मूंगा, चन्द्रकांत मणि, सफेद पुखराज।मोती को भाषाभेद के अनुसार अनेक नामों से सम्बोधित किया जाता है। यथा, संस्कृत में मुक्ता, मौक्तिक, शुक्तिज, इन्द्र-रत्न, हिंन्दी पंजाबी में मोती अँग्रेजी में पर्ल तथा उर्दू फारसी में मुखारीद कहा जाता है।

मोती को पहनने से बल, बुद्धि, ज्ञान एवं सौन्दर्य में वृद्धि होती है। तथा धन, यष सम्मान एवं सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है। मन शांत रहता है। मोती धारण करने से हृदय रोग, नेत्र रोग, गठिया, अस्तमा इत्यादि बीमारियों से बचाव होता है। मोती गर्म स्वभाव वाले व्यक्तियों के लिए अच्छा माना जाता है। इसको धारण करने से गुस्सा शांत रहता है। मोतियों की माला लड़कियों का आत्मविष्वास तथा सुन्दरता को बढ़ाती है। पुत्री की शादी में मोतियों की माला देना बहुत ही शुभ माना जाता है। मोती में लगभग 90 प्रतिषत चूना होता है। इसलिए कैल्षियम की कमी के कारण उत्पन्न रोग में मोती चमत्कारी ढ़ग से फायदा पहुंचाता है।





मणिक



उपरत्न
स्टार माणिक, रतवा हकीक, तामड़ा लाल तुरमली।भगवान सूर्य को ग्रहराज कहा जाता है इन्हीं के प्रताप से मानव जीवन का विकास होता है कुण्डली में सूर्य की क्षीण स्थिति को शक्तिपूर्ण बनाने के लिए सूर्यरत्न माणिक्य धारण के लिए परामर्श दिया जाता है।

माणिक्य एक अत्यधिक मूल्यवान तथा शोभायुक्त रत्न है। माणिक्य को स्थान भेद के अनुसार अनेक नामों से पुकारा जाता है। माणिक्य के सबसे अधिक नाम संस्कृत भाषा में मिलते हैं। संस्कृत में इसे कुरविन्द, पदुमराग, वसुरत्न, लोहित, माणिक्य, शोणरत्न, रविरत्न शोणोपल आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। हिन्दी में चुन्नी, माणिक, बंगला में माणिक्य, मराठी में माणिक, तेलगू में माणिक्य फारसी में याकूत, अरबी में लाल बदख्शाँ तथा अंग्रेजी में रुबी नाम से पुकारा जाता है। माणिक एक खनित रत्न है। माणिक की खाने बर्मा, श्रीलंका, काबुल, हिमालय पर्वत कष्मीर मे पायी जाती है। अपनी रासायनिक संरचना के रुप में माणिक्य एल्युमीनियम आक्साइड का रुप होता है। यह पारदर्षी तथा अपारदर्षी दोनों तरह का होता है। माणिक सूर्य ग्रह का रत्न है। अंतः माणिक को धारण करने से सूर्य ग्रह से संबंधित समस्त दोष दूर हो जाते है। सिंह राषि वालों के लिए माणिक पहनना अति शुभ माना जाता है। जन्म कुण्डली में जिन व्यक्तियों का सूर्य ग्रह कमजोर स्थिति में हो उन्हें माणिक अवश्य पहनना चाहिए। माणिक धारण करने से यष, कीर्ति, धन, सम्पति, सुख-षांति प्राप्त होती है। यह वंष वृद्धिकारक भी माना जाता है। इसके प्रयोग से भय, व्याधि, सुख, क्लेष, चिन्ता आदि का नाष होता है। जिन व्यक्तियों के जीवन में स्थिरता ना हो तथा कोई काम निष्चित ना हो यह उनके जीवन की अनिष्चिताओं को दूर कर उज्जवल भविष्य का निर्माण करता है। इसे पहनने से व्यक्ति के जीवन में ठहराव आता है। कई प्रकार की बीमारियों से रक्षा होती है।





पुखराज



उपरत्न
पीला हकीक, सुनहैला, पीला गोमेद, बैरुजयह एक मूल्यवान खनिज रत्न है। इसे गुरु रत्न भी कहा जाता है। यानि इसका स्वामी बृहस्पति है। पुखराज हीरा और माणिक्य के बाद सबसे कठोर रत्न है। अपने रासायनिक विष्लेषण में इसमें एल्युमीनियम हाइड्रोविसम और क्लोरिन जैसे तत्व पाए जाते है।

यह कई रंगों का होता है लेकिन भारत में प्राय पीला तथा सफेद ही ज्यादा प्रयोग में लाया जाता है। यह कई देषों में पाया जाता है। लेकिन श्रीलंका तथा ब्राजील का सबसे अच्छा माना जाता है। पुखराज गुरु ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। पुखराज पहनने से गुरु ग्रह से संबंधित समस्त दोष दूर हो जाते है। धनु राषि वालो को पुखराज पहनने से लाभ होता है। पुखराज पहनने से बल, आयु, स्वास्थ्य, यष, कीर्ति व मानसिक शांति प्राप्त होती है। इसको धारण करने से व्यापार तथा व्यवसाय में वृद्धि होती है। पुखराज को बृहस्पति जी का प्रतीक माना गया है। बृहस्पति जी को देव गुरु का वरदान प्राप्त है। इसलिए इन्हें गुरु भी कहा जाता है। इसलिए इसे पढ़ाई लिखाई के क्षेत्र में उन्नति के लिए पहनाया जाता है। यदि किसी कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो पुखराज धारण करने से समस्या का हल जल्द हो जाता है। पुखराज मानसिक शांति प्रदान करके मान प्रतिष्ठा को श्रेयस्कर व दीर्घायु प्रदान करता है। इसे व्यापारी स्टोन भी कहते है। क्योंकिं यह व्यापार करने वालो के लिए लाभदायक माना जाता है। पुखराज का स्वामी गुरु होने के कारण इसे सभी लोग धारण कर सकते है। पुखराज धारक के रुके हुए कार्यो को पुनः शुरु करवाता है। मित्रता को बल प्रदान करता है। पुखराज चर्म रोग नाषक, बल-वीर्य की वृद्धि करने वाला होता है। जो लोग पुखराज ना खरीद सके वह स्ट्रिीन (सुनैला) धारण कर सकते है।





नीलम



उपरत्न
कटैला, काला हकीक, काला स्टार, लाजवृतयह एक मूल्यवान खनिज पत्थर है। नीलम, नीला, हल्का नीला, आसमानी या बैंगनी रंग का होता है। यह भारी पारदर्षी पत्थर है। लेकिन कुछ स्थानों पर मिलने वाले नीलम गहरे रंग के होते है था इनमें पारदर्षिता कम होती है। नीलम के अन्दर चीर-फाड़, दाग-धब्बे, धुंधलापन तथा जाला भी पाया जाता है।

जितना दाग कम पाया जाता है। नीलम उतना महंगा हो जाता है। बिना दाग के नीलम की कीमत बहुत अधिक होती है। नीलम बर्मा, श्रीलंका, बैंकाक, भारत, आस्ट्रेलिया तथा अन्य कई देशों में पाया जाता है। भारत में कष्मीर तथा उत्तराखण्ड के पहाड़ों में नीलम की खाने है। नीलम शनि ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है, अतंः नीलम पहनने से शनि संबंधित समस्त दोष दूर हो जाते है। मकर तथा कुम्भ राषि वालो को नीलम पहनना अति शुभकारी होता है। नीलम के बारे में कहा जाता है कि यह अपना प्रभाव शीघ्र दिखाता है। नीलम का प्रभाव शुभ तथा अषुभ दोनों प्रकार का होता है। इसलिए नीलम अंगूठी में धारण करने से पहले बाजू में कपड़ें से बांध कर दो दिन तक रखना चाहिए। इसके अलावा नीलम का उपरत्न भी नीलम धारण करने से पहले कुछ समय के लिए धारण करना चाहिए। रात को सोते समय यदि शुभ स्वप्न आए या शुभ समाचार मिले तो नीलम आपके लिए शुभ माना जाएगा। यदि विपरीत परिस्थितियॅा बने तो नीलम अशुभ माना जाएगा। नीलम यदि अनुकूल पड़े तो धन-धान्य, सुख सम्पति, मान,सम्मान, यश गौरव, आय वृद्धि, बल तथा वंष की वृद्धि होती है। नीलम के बारे में कहा जाता है। यदि अनुकूलन पड़े तो भिखारी को भी रातों रात राजा बना देता है।





गोमेद



यह एक खनिज पत्थर है। अपनी रासायनिक संरचना में यह जिर्कोनियम का सिलिकेट रुप माना जाता है। इसकी उत्पति सायनाइट की षिलाओं के अन्दर होती है। यह एक पारदर्षी रत्न है। इसके अन्दर जाला धुंधलापन अथवा कट के निषान अवश्य पाये जाते है। लेकिन जितना साफ गोमेद होता है उतना उत्तम माना जाता है। गोमेद काफी सस्ता रत्न होता है। लेकिन अपने आकर्षक रंग व गुणों के कारण इसे नवरत्नों में सम्मानित स्थान प्राप्त है। गोमेद को राहू ग्रह का प्रतिनिधि रत्न माना जाता है।

इसलिए राहु ग्रह से संबंधित समस्त दोष तथा राहु दषा जनित समस्या दुष्प्रभाव गोमेद धारण करने से दूर हो जाते है। अंतः दैत्य ग्रह राहु की दशा को ठीक करने के लिए गोमेद धारण करना चाहिए। राहु ग्रह के प्रकोप से मानसिक तनाव बढ़ता है। छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आता है। कार्यकुषलता में निर्णायक कमी आती हे। निर्णय लेने की क्षमता क्षीण हो जाती है तथा योजनाएं असफल हो जाती है। ऐसे व्यक्तियों को गोमेद अवश्य धारण करना चाहिए। गोमेद धारण करने वाले के समक्ष शत्रु टिक नहीं पाता इससे शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है। जिन बच्चों का मन पढ़ाई में ना लगता हो तथा बहुत शरारतें करते हो। उन्हें गोमेद पहनाने से लाभ पहुंचता है। इसको धारण करने से सुख सम्पति में भी वृद्धि होती है। गोमेद रत्न यद्यपि कई रंगों में उपलब्ध होता हैं लेकिन ज्योतिषीय दृष्टिकोण से राहु रत्न गोमेद वही कहलाता है, जो गो-मूत्र के रंग वाला हो। यह अत्यधिक प्रचलित राहु रत्न स्थान तथा भाषा भेद के अनुसार अपने-अपने क्षेत्र में विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। गोमेद को देवभाषा संस्कृत में तृणवर, तपोमणि, राहुरत्न, स्वर भानु, पीतरत्न, गोमेद, रत्नगोमेदक, हिन्दी में गोमेद, गुजराती में गोमूत्रजंबु, मराठी में गोमेदमणि, उर्दू, फारसी में जरकुनिया अथवा जारगुन, बंगाली में लोहितमणि, अरबी में हजारयमनि, बर्मा में गोमोक, चीनी में पीसी तथा आंग्ल भाषा में अगेट नाम से जाना जाता है।





लहसुनिया



लहसुनिया का स्वामी केतु ग्रह होता है। जिसके ऊपर केतु ग्रह का प्रकोप हो उसे लहसुनिया धारण करना चाहिए। इसको धारण करने से पुत्र सुख और सम्पति प्राप्त होती है। धारक की शत्रु, अपमानए तथा जंगली जानवरों से रक्षा होती है। लहसुनिया को अंग्रेजी में कैटस आई कहते है। इसमें सफेद धारियॅा पाई जाती है। जिनकी संख्या आमतौर पर दो तीन, या चार होती है। लेकिन जिस लहसुनिया में ढाई धारियॅा हो वह अच्छा माना जाता है। यह धारियॅा धुएं के समान दिखाई देती है।

यह दिमागी परेषानियां शारीरिक दुर्बलता, दुख, दरिद्रता, भूत आदि सू छुटकारा दिलाता है। लहसुनिया यदि अनुकूल हो तो यह धन दौलत में तीव्र गति से वृद्धि करता है। आकस्मित दुर्घटना, गुप्त शत्रु से भी रक्षा करता है। इसे धारण करने से रात्रि में भयानक स्वप्न नहीं आते है। असको लाकेट में पहनने से दमे से तथा श्वास नली की सूजन से आराम मिलता है।








क्या संयुक्त रत्न पहन कर उत्तम लाभ पाया जा सकता हें ???


रत्न कोई भी हो अपने आपमें प्रभावशाली होता है। हीरा शुक्र को अनुकूल बनाने के लिए होता है तो नीलम शनि को। इसी प्रकार माणिक रत्न सूर्य के प्रभाव को कई गुना बड़ा कर उत्तम फलदायी होता है। मोती जहाँ मन को शांति प्रदान करता है ‍तो मूँगा उष्णता को प्रदान करता है। इसके पहनने से साहस में वृद्धि होती है।

पुखराज रत्न सभी रत्नों का राजा है। इसे पहनने वाला प्रतिष्‍ठा पाता है व उच्च पद तक आसीन हो सकता है। अपनी योग्यतानुसार रत्न पहनने से कार्य में आने वाली बाधाओं को दूर कर राह आसान बना देते हैं। यूँ तो रत्न अधिकांश अलग-अलग व अलग-अलग धातुओं में पहने जाते है। लेकिन मेरे 20 वर्षों के अनुभव से संयुक्त रत्न पहनवाकर कईयों को व्यापार में उन्नति, नौकरी में पदोन्नति, राजनीति में सफलता, कोर्ट-कचहरी में सफलता, शत्रु नाश, कर्ज से मुक्ति, वैवाहिक ‍तालमेल में बाधा को दूर कर अनुकूल बनाना, संतान कष्ट, विद्या में रुकावटें, विदेश, आर्थिक उन्नति आदि में सफल‍ता दिलाई।

जन्मपत्रिका के आधार पर व ग्रहों की स्थितिनुसार संयुक्त रत्न पहन कर उत्तम लाभ पाया जा सकता है। संयुक्त रत्न में माणिक-पन्ना, पुखराज-माणिक, मोती-पुखराज, मोती-मूँगा, मूँगा-माणिक, मूँगा-पुखराज, पन्ना-नीलम, नीलम-हीरा, हीरा-पन्ना, माणिक-पुखराज-मूँगा, माणिक-पन्ना, मूँगा भी पहना जा सकता है।

क्या नहीं पहना जा सकता इसे भी जान लेना आवश्यक है। लहसुनियाँ-हीरा, मूँगा-नीलम, नीलम-माणिक। संयुक्त रत्न तभी पहने जाते है जब जन्मपत्रिका में देख व अनुकूल ग्रहों की अवस्था हो या दशा-अन्तर्दशा चल रही है। ऐसी स्थिति में श्रेष्‍ठ फलदायी होते हैं।

कभी-कभी व्यापार नहीं चल रहा हो, अच्छी सफलता नहीं मिल रही हो तो चार रत्न यथा पुखराज-मूँगा, माणिक व पन्ना पहनें तो सफलता मिलने लग जाती है। रत्नों की सफलता तभी मिलती है जब शुभ मुहूर्त में उसी के नक्षत्र में बने हो या जो ग्रह प्रभाव में तेज हो उसके नक्षत्र में बने हो व पहनने का भी उसी ग्रह के नक्षत्र में हो तब लाभ भी कई गुना बढ़ जाता है।

मेरे अनुभव से संयुक्त रत्न पहनवाकर कईयों को व्यापार में उन्नति, नौकरी में पदोन्नति, राजनीति में सफलता, कोर्ट-कचहरी में सफलता, शत्रु नाश, कर्ज से मुक्ति, वैवाहिक ‍तालमेल आदि में सफल‍ता दिलाई।
गार्नेट सूर्य का उपरत्न माना गया है। इसे माणिक की जगह पहना जाता है। यह सूर्य का उपरत्न होने के साथ बहुत प्रभावशाली भी है। इसे हिन्दी में याकूब और रक्तमणि के नाम से भी जाना जाता।

यह लाल रंग का कठोर होता है। अक्सर सस्ती घड़ियों में माणिक की जगह इस्तेमाल किया जाता है लेकिन कीमती घड़ियों में इसका इस्तेमाल नहीं होता बल्कि असली माणिक का प्रयोग करते हैं। यह रत्न सस्ता होने के साथ-साथ बहुत आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

इस रत्न को अनामिका अँगुली में ताँबे में बनवाकर शुक्ल पक्ष के रविवार को प्रातः सवा दस बजे पहना जाता है। इसके पहनने से सौभाग्य में वृद्धि, स्वास्थ्य में लाभ, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। यात्रादि में सफलता दिलाता है, मानसिक चिन्ता दूर होती है। मन में शंका-कुशंका को भी दूर भगाता है। इसके पहनने से डरावने सपने नहीं आते।

कहा जाता है कि लाल रंग का गार्नेट बुखार में फायदा पहुँचाता है व पीले रंग का गार्नेट पीलिया रोग में फायदा पहुँचाता है। इसके पहनने से बिजली गिरने का असर नहीं होता एवं यात्रा में किसी प्रकार की हानि, जोखिम से भी रक्षा करता है, ऐसी प्रचीन मान्यता है।


यह रत्न खतरों को भाँप कर अपना मूल स्वरूप खो देता है। कभी कष्ट आने पर टूट भी जाता है। जिन्हें माणिक नहीं पहनना हो वे इसे अजमाकर देख सकते है। क्योंकि ये जेब पर भारी नहीं पड़ता।

5 टिप्‍पणियां:

  1. Namashkaar Guruji mera naam vikash Sharma gain 1/21986 ka janam hain meri raashi Bull yani ki vrishabh hain Maine ek popular site gempundit.com se bhi salaah prapt ki this nujhe firoza sabse adik pas and gain aur pehle bhi pehna hain koi bhi dyrghatna wagers nhi hua balki swasth kuch the nhi chl rhi thi fr isde manwaya pehna accha mehdus hua an WO nhi hn Maine naya order receive kia hn PR apko salah aur kaise dharan kre ye janna chahta hu Maine Turquoise firoza bracellete banaya hain apke vichaar janna hain
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    Vikash Sharma
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  2. Hello Sir,
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    Name. = Ashish Mathur
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    Last year I appeared in good position government job examination, I was selected then suddenly High Court cancelled that result because at some rural remote area cheating was done, then they conduct re-exam in which I am unable to attend because two days before the examination I I got infected by Chickengunia ( my fever was 105° for few days)
    I am hardworking & intelligent( as I cleared Govt exam from general category) , why these type of misfortune & wrong decisions. I felt that from last few years my luck has gone.
    So my question is:-
    Question = Whether I will get permanently settle in my life & when will I get a good job?
    Suggest remedies & also gemstone.

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  3. Mera birthdate
    Bishwadeepak pratap
    Date-21/08/1982
    Time-5.37Am
    Place -Purina bihar
    Mera sawal h kab Tak mujhe apne field me achhi job milegi .kab Tak Mai apni family ke sath set ho payounga .mujhe suggest kigiye remedies or gemstone
    Mujhe bahut mehanat ke bad v result nhi
    mil pata .

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  4. Hlo sir mera nam prashant Yadav hai sir meri prblm yah hai ki mere pass paise bilkul bhi nahi Tik Te bhut kosis karta hu fir bhi kisi na kisi raste paise kharch ho hi jata hai. Sir Mai isse bhut paresan hu Plzz mujhe koi stone suggest Kare jisse meri yah samsya khatam ho jaye.my d. O. B is 2/5/1991.birth place Gonda uttar Pradesh time sir exctaly pata nahi per din k 2 se 3 k bich ka hai. Plzz sir help me. My email address is pyadvnshi43@gmail.com.

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